Tulsi Puja Mantra Importance: हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे का विशेष महत्व है। इसे केवल एक पौधा नहीं, बल्कि देवी स्वरूपा माना जाता है। मान्यता है कि घर में तुलसी की स्थापना करने से वातावरण पवित्र रहता है, नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। शास्त्रों में तुलसी की पूजा को समृद्धि, सुख और स्वास्थ्य से जोड़कर बताया गया है। इतना ही नहीं, तुलसी के बिना कोई भी पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती।
तुलसी की पूजा करते समय यदि विशेष मंत्रों का जाप किया जाए, तो जीवन की अनेक समस्याएं दूर हो सकती हैं और घर-परिवार में खुशहाली बनी रहती है। आइए जानते हैं तुलसी पूजन की धार्मिक मान्यता, पूजन विधि और उन विशेष मंत्रों के बारे में, जिनका जाप करने से जीवन से दिक्कतें दूर हो जाती हैं।
तुलसी का धार्मिक महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी माता को भगवान विष्णु की प्रिय पत्नी माना गया है। तुलसी का विवाह कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी को शालिग्राम भगवान से होता है। तभी से इसे “वृंदा देवी” या “तुलसी माता” कहा जाता है।
- तुलसी घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
- इसे धन, सुख और समृद्धि की प्रतीक माना गया है।
- तुलसी के पत्ते बिना किसी पूजा, यज्ञ या हवन को पूर्ण नहीं माना जाता।
- आयुर्वेद में तुलसी को रोगनाशक और आयुष्यवर्धक भी कहा गया है।
तुलसी पूजा की सही विधि
- तुलसी पूजन प्रतिदिन किया जा सकता है, विशेषकर प्रातः और सायंकाल।
- स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं।
- ताजे जल से तुलसी को अर्पित करें।
- चंदन, फूल और नैवेद्य चढ़ाएं।
- अंत में तुलसी माता और भगवान विष्णु का ध्यान करें और मंत्रजाप करें।
तुलसी पूजा के समय बोले जाने वाले प्रमुख मंत्र
तुलसी माता का ध्यान मंत्र
- ॐ तुलस्यै नमः।
- यह मंत्र तुलसी माता को नमस्कार करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए है।
तुलसी स्तुति मंत्र
- यन्मूले सर्वतीर्थानि यन्नगे सर्वदेवताः। यद्यन्मध्ये सर्ववेदाः तुळसीं तां नमाम्यहम्।।
- इस मंत्र के जाप से तुलसी के प्रत्येक अंग की पवित्रता का स्मरण होता है। मान्यता है कि तुलसी माता के मूल में तीर्थ, शाखाओं में देवता और मध्य भाग में सभी वेद विराजमान हैं।
तुलसी रक्षा मंत्र
- त्वंहि विश्वस्य मातासि त्वंहि धर्मस्य कारणम्। त्वंहि विष्णुप्रिया देवी तुलसीं त्वां नमोऽस्तुते।।
- यह मंत्र तुलसी माता से परिवार की रक्षा और सुख-समृद्धि की कामना के लिए पढ़ा जाता है।
तुलसी विवाह मंत्र
- देवि त्वं निर्मिता पूर्वं ब्रह्मणा धर्मसंहिते। पावनी सर्वलोकानां पावनी पापनाशिनी।।
- कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह में इस मंत्र का जाप करना विशेष फलदायी माना जाता है।
तुलसी अर्चन मंत्र
- ॐ श्री तुलस्यै नमः।
- सरल और छोटा यह मंत्र तुलसी की प्रतिदिन पूजा के लिए उपयुक्त है।
तुलसी पूजा से होने वाले लाभ
- पारिवारिक सुख: तुलसी पूजा से घर में कलह-क्लेश दूर होते हैं और परिवार में सौहार्द बना रहता है।
- आर्थिक समृद्धि: तुलसी को धन और समृद्धि की कारक माना गया है। पूजा करने से दरिद्रता दूर होती है।
- स्वास्थ्य लाभ: तुलसी माता को आयुर्वेद में जीवनदायिनी कहा गया है। पूजा के साथ तुलसी का सेवन रोगों से बचाता है।
- पितृदोष निवारण: तुलसी पूजन और तुलसी के पत्ते अर्पित करने से पितृदोष शांति होती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: तुलसी पूजन से मन में शांति, भक्ति और भगवान विष्णु की कृपा मिलती है।
तुलसी पूजा में क्या न करें
- तुलसी को लोहे की कैंची या चाकू से न तोड़ें, केवल हाथ से तोड़ें।
- रविवार, संक्रांति और संध्या समय तुलसी के पत्ते तोड़ना वर्जित है।
- तुलसी को अपवित्र हाथों से न छुएं।
- तुलसी के पास अशुद्ध वस्तु या गंदगी न रखें।
पौराणिक कथा से जुड़ा महत्व
पुराणों के अनुसार वृंदा नामक एक महान पतिव्रता स्त्री थी, जिनका विवाह दैत्यराज जलंधर से हुआ था। उनकी पतिव्रता शक्ति से जलंधर अजेय हो गया था। देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। तब भगवान ने वृंदा का पतिव्रत भंग किया और उसके शाप से ही वृंदा तुलसी के रूप में पृथ्वी पर प्रकट हुईं। भगवान विष्णु ने उन्हें अपनी प्रिय पत्नी का स्थान दिया और वचन दिया कि बिना तुलसी के उनकी पूजा अधूरी रहेगी। तभी से तुलसी पूजा का महत्व और भी बढ़ गया।
तुलसी केवल एक पौधा नहीं, बल्कि हिंदू धर्म की आध्यात्मिक आस्था और भक्ति का प्रतीक है। तुलसी की पूजा करने और विशेष मंत्रों का जाप करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है। मान्यता है कि तुलसी पूजन के समय “ॐ तुलस्यै नमः”, “यन्मूले सर्वतीर्थानि…” और अन्य मंत्रों का जाप करने से माता तुलसी प्रसन्न होती हैं और भगवान विष्णु की कृपा भी सहजता से प्राप्त होती है।